UP: उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव इस बार कई महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर चर्चा में हैं। इनमें सबसे प्रमुख मुद्दा है मुंबई में एनसीपी (अजित गुट) नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या। इस घटना ने न केवल महाराष्ट्र में बल्कि यूपी की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। यूपी की 19% मुस्लिम आबादी को ध्यान में रखते हुए, यह हत्याकांड विपक्ष, खासकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस, के लिए एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। विपक्ष इस मुद्दे का इस्तेमाल कानून-व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश पैदा करने के लिए कर सकता है, जिससे बीजेपी को मुस्लिम बहुल सीटों पर नुकसान हो सकता है।
सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए यह उपचुनाव एक अग्निपरीक्षा के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि बीजेपी को कई सीटों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। करहल, कुंदरकी और सीसामऊ जैसी सीटों पर सपा और कांग्रेस का मजबूत आधार है। करहल सीट पर यादव वोटर बड़ी संख्या में हैं, जबकि कुंदरकी और सीसामऊ में मुस्लिम मतदाता 60% और 45% हैं। यह स्थिति बीजेपी के लिए बेहद कठिन साबित हो सकती है, और उसे अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
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समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा करते हुए PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वोट बैंक पर जोर दिया है। पार्टी ने 6 उम्मीदवारों में 2 अल्पसंख्यक, 3 पिछड़ा और 1 दलित को शामिल किया है, जिससे उसकी चुनावी रणनीति स्पष्ट होती है। बीजेपी भी 9 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी, जबकि मीरापुर सीट पर आरएलडी से सहयोग की उम्मीद है। इस चुनाव में राजनीतिक समीकरणों का बदलना निश्चित रूप से अहम होगा।