UP News : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के टिटोडा गांव का रहने वाला अतुल कुमार एक ऐसे युवक की कहानी है जिसने अपनी मेहनत और लगन से देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, आईआईटी धनबाद में प्रवेश पाने का सपना देखा था। लेकिन, गरीबी ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया।
एक दिहाड़ी मजदूर के बेटे अतुल ने जेईई एडवांस परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया था और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में प्रवेश पाया था। लेकिन, 17,500 रुपये की फीस जमा करने की आखिरी तारीख तक वह पैसे का इंतजाम नहीं कर पाया। गांववालों से कर्ज लेकर भी जब वह फीस जमा करने गया तो तकनीकी खराबी के कारण वेबसाइट लॉग आउट हो गई और उसका दाखिला रद्द हो गया।
इस घटना के बाद अतुल ने हार नहीं मानी और न्याय के लिए लड़ाई शुरू कर दी। उसने झारखंड और मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अंततः सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 24 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में जज ने अतुल को आश्वासन दिया कि उसे न्याय मिलेगा और कॉलेज को नोटिस जारी किया जाएगा। अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।
अतुल की कहानी देश के लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा और साथ ही एक चेतावनी भी है। यह दिखाता है कि कैसे गरीबी एक मेधावी छात्र के सपनों को चकनाचूर कर सकती है। यह भी दिखाता है कि कैसे एक युवा लड़का अपने अधिकारों के लिए लड़ने में कभी हार नहीं मानता।
क्या करते हैं अतुल के पिता ?
अतुल के पिता, राजेंद्र, एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं, जबकि उनकी मां, राजेश देवी, घास लाकर बच्चों की पढ़ाई में सहायता करती हैं। अतुल ने बताया कि उन्होंने कानपुर के गहलोत सुपर 100 इंस्टिट्यूट से अपनी तैयारी की थी। अतुल के तीन भाई हैं, जो सभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। यूपी में बातचीत करते हुए, अतुल ने कहा कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कठिन है।
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उन्हें आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में दाखिला मिला था, लेकिन फीस जमा करने में देरी के कारण उनका एडमिशन रद्द हो गया। 24 जून की अंतिम तिथि थी, और वे 4:45 बजे तक फीस का इंतजाम करने में सफल हुए। उन्हें 5:00 बजे तक डॉक्यूमेंट्स अपलोड करने थे; लेकिन सही समय पर डॉक्यूमेंट अपलोड करते हुए 4:56 बजे सिस्टम अपने आप लॉगआउट हो गया। इस तकनीकी समस्या के कारण वे दोबारा फीस नहीं जमा कर पाए, जिसके फलस्वरूप उनका एडमिशन कैंसल हो गया।