UP Politics: उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा मोड़ तब आया जब समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को उपचुनावों को लेकर बड़ा ऐलान किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन जारी रहेगा, हालांकि सीटों के बंटवारे पर अंतिम फैसला अभी नहीं हुआ है। अखिलेश यादव के इस बयान के बाद सियासी चर्चाओं का दौर थम गया, लेकिन कई सवाल अभी भी बाकी हैं, खासकर सीटों के बंटवारे को लेकर।
अखिलेश का बयान और गठबंधन की स्थिति
मंगलवार को सपा ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की, जिसमें 6 विधानसभा सीटों के नाम शामिल थे। इस लिस्ट ने सियासी हलचल को तेज कर (UP Politics) दिया क्योंकि कांग्रेस ने पहले ही कहा था कि उपचुनावों में सीट बंटवारे पर कोई अंतिम बात नहीं हुई है। इससे यूपी की राजनीति में नया मोड़ आ गया था, लेकिन अखिलेश यादव के बयान ने इन अटकलों पर विराम लगा दिया।
उन्होंने कहा, “यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन जारी रहेगा,” लेकिन सीटों के बंटवारे पर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया। यह बयान ऐसे समय आया जब कांग्रेस ने 5 सीटों की मांग की थी। इसमें से फूलपुर और मंझवां जैसी सीटों पर सपा ने अपने उम्मीदवार उतार दिए, जिन पर कांग्रेस का दावा था।
हरियाणा चुनाव पर चुप्पी
जब अखिलेश से हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार पर सवाल किया गया, तो उन्होंने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “आज इस विषय पर कुछ नहीं बोलूंगा। आज का दिन इस मामले पर बोलने लायक नहीं है।” अखिलेश यादव के इस बयान से साफ हो गया कि फिलहाल सपा और कांग्रेस के बीच उत्तर प्रदेश पर ही ध्यान केंद्रित है।
सपा के उम्मीदवारों की सूची
समाजवादी पार्टी ने उपचुनावों के लिए (UP Politics) जिन 6 प्रत्याशियों की घोषणा की, उनमें करहल विधानसभा सीट से तेज प्रताप यादव, सीसामऊ से नसीम सोलंकी, फूलपुर से मुस्तफा सिद्दीकी, मिल्कीपुर से अजीत प्रसाद, कटेहरी से शोभावती वर्मा और मंझवा से डॉ. ज्योति बिंद शामिल हैं। इन सीटों में से फूलपुर और मंझवां वो सीटें हैं, जिनपर कांग्रेस ने अपना दावा किया था।
Balrampur: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्माणाधीन मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया
यूपी उपचुनावों में गठबंधन की अहमियत
उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें से 5 सीटें सपा के पास थीं, जबकि 4 सीटें भाजपा के पास थीं। कांग्रेस ने 5 सीटों पर अपना दावा किया था, लेकिन सपा की घोषणा ने इस समीकरण को चुनौती दी है। अब देखना होगा कि सपा और कांग्रेस कैसे सीट बंटवारे का हल निकालते हैं, क्योंकि उपचुनावों का परिणाम आगामी लोकसभा चुनावों की दिशा तय कर सकता है।