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UP Poster Politics: अखिलेश यादव का पलटवार, सीएम योगी के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर बोले- ‘नकारात्मकता की निशानी’

UP Poster Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों पोस्टर वार चर्चा का केंद्र बना हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे ‘बटेंगे तो कटेंगे’ पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) ने ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ का पोस्टर लगाकर नया संदेश दिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस नारे को भाजपा की असफलता का प्रतीक करार दिया और सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी। उनका कहना है कि इस तरह के नकारात्मक नारे भाजपा के बचे-खुचे समर्थकों में भी निराशा पैदा कर रहे हैं। इस घटना ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है और नेताओं के बयान व प्रचार ने तेजी पकड़ ली है।

सपा का जवाब, सकारात्मक दृष्टिकोण

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सपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे के जवाब में लखनऊ की सड़कों पर ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ के पोस्टर लगाकर अपना संदेश दिया। अखिलेश यादव ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा कि भाजपा का यह नारा उनकी विफलता और निराशा को दर्शाता है। उन्होंने लिखा, “जिसका नजरिया जैसा होता है, उसका नारा भी वैसा होता है। भाजपा का नकारात्मक नारा उनके शेष 10% समर्थकों को भी निराश कर रहा है।”

अखिलेश के अनुसार, भाजपा की यह रणनीति जनता में डर फैलाकर उन्हें एकजुट करने की है, लेकिन यह सफल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि एक सच्चे नेता का काम समाज को भयमुक्त करना होता है, न कि डर का प्रसार करना।

नकारात्मक बनाम सकारात्मक दृष्टिकोण

अखिलेश यादव ने बताया कि नकारात्मक नारे का प्रभाव होता है, लेकिन यह केवल निराशा बढ़ाता है। उन्होंने लिखा, “भयभीत व्यक्ति ही भय बेचता है,” जिसका तात्पर्य यह है कि भाजपा अपने समर्थकों को भय के आधार पर जोड़ने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “जिस ‘आदर्श राज्य’ का सपना देखा जाता है, उसकी बुनियाद में निडरता होती है, भय नहीं।”

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अखिलेश ने भाजपा को सलाह दी कि वे अपनी रणनीति और सलाहकारों में बदलाव करें ताकि राजनीति में सकारात्मकता ला सकें।

राजनीतिक नारेबाजी का महत्व

इस बयान से यूपी की राजनीति में पोस्टर युद्ध ने नया मोड़ ले लिया है। भाजपा और सपा के बीच चल रहे इस प्रचार और बयानबाजी ने मतदाताओं का ध्यान खींचा है। ‘बटेंगे तो कटेंगे’ और ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ जैसे नारे चुनावी माहौल को नया रंग दे रहे हैं, जो इस बात का संकेत है कि आने वाले चुनावों में यह नारे चर्चा का केंद्र बन सकते हैं।

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