Tahawwur Rana: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2008 के मुम्बई आतंकवादी हमलों में शामिल ताहव्वर राना के प्रत्यर्पण की स्वीकृति दी। यह निर्णय भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक किया गया, जो दोनों देशों की आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रतिबद्धता को दर्शाता है। Tahawwur Rana, जो पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। उनके प्रत्यर्पण से मुम्बई हमलों के पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है और यह अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मजबूत करेगा।
US President Trump approves extradition of 26/11 Mumbai terror attacks accused Tahawwur Rana to India. #TahawwurRana #USIndiaRelations @PMOIndia
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Tahawwur Rana का संबंध डेविड कोलमैन हेडली से था, जो इस हमले का प्रमुख साजिशकर्ता था। राना ने हेडली को वित्तीय और भौतिक सहायता प्रदान की थी, जिससे हमले की योजना को सफल बनाने में मदद मिली। राना को 2009 में अमेरिकी पुलिस ने गिरफ्तार किया था और तब से भारत ने उनका प्रत्यर्पण माँगा था। इस मामले में अब तक कई कानूनी प्रक्रियाएँ पूरी हो चुकी हैं और हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राना की अपील को खारिज कर दिया, जिससे उनका प्रत्यर्पण संभव हो पाया।
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राष्ट्रपति ट्रंप ने इस प्रत्यर्पण को लेकर संतोष व्यक्त करते हुए राना को “पृथ्वी के सबसे खराब लोगों में से एक” करार दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि राना के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
यह प्रत्यर्पण कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, यह मुम्बई हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय की उम्मीद देता है। दूसरी बात, यह अमेरिका और भारत के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग को और मजबूत करता है और दोनों देशों के संबंधों को मजबूती प्रदान करता है। इसके अलावा, यह भविष्य में आतंकवादियों को यह संदेश देता है कि अंतरराष्ट्रीय न्याय व्यवस्था किसी को भी सीमा पार बचने का मौका नहीं देती।
हालांकि, कुछ चिंताएँ भी हैं। आलोचकों का कहना है कि राना को भारत में निष्पक्ष न्याय मिलने की गारंटी नहीं है, खासकर मानवाधिकारों के उल्लंघन के डर से। इसके अलावा, अमेरिकी और भारतीय न्याय प्रणालियों के बीच अंतर के कारण कानूनी प्रक्रिया में देरी हो सकती है। इसके बावजूद, यह प्रत्यर्पण वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश भेजेगा।