USAID: अमेरिका के सरकारी दक्षता विभाग (DOGE), जो एलन मस्क के नेतृत्व में काम करता है, ने भारत को दी जाने वाली 21 मिलियन डॉलर (करीब 182 करोड़ रुपये) की फंडिंग को रद्द कर दिया है। यह फंडिंग भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए निर्धारित की गई थी। इस निर्णय के साथ, अमेरिकी सरकार ने अपने विदेशी सहायता कार्यक्रमों में व्यापक कटौती का फैसला लिया है। यह कदम ट्रंप प्रशासन की नीति का हिस्सा है, जिसके तहत विदेशों को दी जाने वाली वित्तीय मदद में भारी कमी करने की योजना है।
DOGE द्वारा जारी एक बयान में बताया गया कि भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल, मोजाम्बिक और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में भी चलाए जा रहे कई अन्य कार्यक्रमों की USAID फंडिंग में कटौती की गई है। ट्रंप के प्रशासन ने विदेशी सहायता में कटौती को प्राथमिकता दी है, और एलन मस्क ने इस कदम को लागू किया है। मस्क का मानना है कि अगर अमेरिका ने अपनी खर्च नीति में बदलाव नहीं किया तो वह दिवालिया हो सकता है। इसलिए भारत को दी जाने वाली यह फंडिंग अब रुक गई है।
भाजपा के सोशल मीडिया प्रमुख अमित मालवीय ने इस USAID फंडिंग पर सवाल उठाए हैं और इसे भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप करार दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद से भारत की चुनावी प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है और इससे किसी एक पक्ष को लाभ मिल सकता है।
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अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने भी USAID के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा कि भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए खर्च किए गए 21 मिलियन डॉलर का उपयोग कहां हुआ। उनका यह भी कहना था कि ऐसे खर्चों का सही उद्देश्य स्पष्ट नहीं है, खासकर जब कुछ विवादास्पद देशों में खर्च होने वाले फंड्स का उपयोग भी संदिग्ध प्रतीत होता है।
यह कदम ट्रंप प्रशासन के विदेशी सहायता नीति को फिर से विचारने का हिस्सा है, जिसके तहत देशों में चल रहे कई बड़े कार्यक्रमों पर भी असर पड़ा है।