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उपचुनाव से किनारा करेगी कांग्रेस, सपा के सामने रख दी दो बड़ी शर्त

मोहसिन खान

Noida Desk: उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान होगा और नामाकंन पत्र दाखिल करने की अंतिम तारीख 25 अक्टूबर है, लेकिन ऐन वक्त पर सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग पर पेंच फंस गया है। चर्चा है कि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को दो नए प्रस्ताव दिए है, जिसमें पहला तो ये है कि सपा अकेले ही उपचुनाव लड़े और इसमें कांग्रेस उसका पूरा साथ देगी और दूसरा प्रस्ताव ये है कि महाराष्ट्र में सपा अपना दावा छोड़े और कम से कम सीटों पर चुनाव लड़ें। बता दें कि सपा ने महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी से 15 सीटों की मांग रखी है, जबकि इस बारें में सपा की ओर से बयान आया कि उनको प्रस्ताव नहीं मिला है, दोनो पार्टियां दावा कर रही है कि गठबंधन कायम रहेगा और मिलकर चुनाव लड़ेंगे।

कांग्रेस ने 5 सीटों पर की थी दावेदारी, मिल रही 2 सीट

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दरअसल कांग्रेस ने उपचुनाव में मीरापुर, मंझवा, फूलपुर, खैर और गाजियाबाद सीट की मांग की थी और यहां पर कार्यकत्ता सम्मेलन के जरिए भी अपनी ताकत का एहसास कराने की कोशिश की थी, लेकिन सपा पर उसका कोई असर नहीं हुआ। अब सपा की ओर से कांग्रेस को खैर और गाजियाबाद सदर सीट दी जा रही है, जिस पर कांग्रेस प्रदेशध्यक्ष अजय राय ने बयान दिया और कहा कि हो सकता है कि कांग्रेस एक भी सीट पर चुनाव ना लड़े और सपा प्रत्याशियों के समर्थन में कांग्रेस का एक एक कार्यकर्त्ता पूरे मनोभाव से काम करेगा, जबकि सपा की ओर से कहा गया है कि कांग्रेस ने जिन सीटों पर दावा किया, उस पर वो बताए कि कैसे उनके प्रत्याशी सपा के उम्मीदवारों से बेहतर है। वहीं सपा की ओर से मिले दो सीटों के ऑफर पर कांग्रेस की ओर से कोई बयान नहीं आया है। माना ये भी जा रहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की वजह से कांग्रेस यूपी के उपचुनावों पर ज्यादा फोकस नहीं कर रही है और यही वजह है कि गठबंधन धर्म में सपा की ओर से महाराष्ट्र विधानसभा में मांगी गई सीटों पर ना तो कोई विचार हुआ है और ना ही कांग्रेस की ओर से कोई बयान सामने आया है।

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कांग्रेस के लिए सपा ने नहीं छोड़ी ‘जिताउ सीट’

यूपी विधानसभा उपचुनावों में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के लिए जो दो सीटें गाज़ियाबाद और खैर छोड़ी है, वहां पर कांग्रेस को कोई खास वजूद नहीं है। सबसे पहले बात करते है गाजियाबाद सदर सीट की, सपा 2004 में जीत हासिल कर पाई थी वो भी तब जबकि उसकी प्रदेश में सरकार थी और यहां पर उपचुनाव हुए थे। गाजियाबाद सदर सीट पर पिछले पांच चुनावों का जिक्र करें तो भाजपा 3, बसपा और कांग्रेस एक एक बार चुनाव जीती, कांग्रेस आखिरी बार 22 साल पहले चुनाव जीती थी। उधर अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट की बात करे तो पिछले 40 सालों से चला आ रहा कांग्रेस का सूखा आज तक खत्म नहीं हुआ, यहां भी अगर पांच चुनावों की बात करें तो दो बार भाजपा, दो बार रालोद और एक बार बसपा का कब्ज़ा रहा।

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