Laurene Powell News: स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स का काशी विश्वनाथ मंदिर दौरा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। शनिवार को लॉरेन ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए, लेकिन उन्हें मंदिर में शिवलिंग छूने की अनुमति नहीं दी गई। इस पर निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाश नंदगिरी महाराज ने सफाई दी और कहा कि यह भारतीय परंपराओं का हिस्सा है।
भारतीय परंपराओं का पालन
महाराज ने बताया कि भारतीय धार्मिक परंपराओं के अनुसार, गैर-हिंदुओं को शिवलिंग छूने की अनुमति नहीं दी जाती है। लॉरेन ने इस नियम का सम्मान किया और मंदिर में बिना किसी आपत्ति के दर्शन किए। उन्होंने बाबा विश्वनाथ के सामने माथा टेककर अपनी श्रद्धा प्रकट की। महाराज ने उन्हें “कमला” नाम दिया और उन्हें अपनी बेटी समान बताते हुए गोत्र प्रदान किया।
#WATCH | Varanasi, UP | Kailashanand Giri Ji Maharaj of Niranjani Akhara says, "I had my 'Peshwai' in Kumbh yesterday. Today, we have come to Kashi to pray to Mahadev that the Kumbh is completed without any obstacles… I came here to invite Mahadev… Our disciple Maharshi… pic.twitter.com/wx6khVgHWq
— ANI (@ANI) January 11, 2025
कुंभ मेले में भागीदारी
आचार्य कैलाश नंदगिरी महाराज ने जानकारी दी कि लॉरेन पॉवेल जॉब्स प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ मेले में भी शामिल होंगी। गंगा में डुबकी लगाने के साथ-साथ वे भारतीय संस्कृति और आध्यात्म को गहराई से समझने की कोशिश करेंगी। निरंजनी अखाड़े ने उन्हें महामंडलेश्वर बनाए जाने पर भी विचार किया है।
परंपराओं का सम्मान
महाराज ने कहा कि भारतीय परंपराएं गहरी और पवित्र हैं, और इन्हें संरक्षित रखना हम सबका दायित्व है। उन्होंने यह भी कहा कि ये परंपराएं दुनिया के लिए एक उदाहरण हैं, लेकिन इनमें किसी भी प्रकार का स्वार्थ नहीं होना चाहिए। लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने इन परंपराओं का पालन करते हुए मंदिर के अंदर सभी नियमों का सम्मान किया।
भारतीय संस्कृति के प्रति रुचि
यह दौरा Laurene Powell जॉब्स का दूसरा भारत दौरा है। वे भारतीय संस्कृति और परंपराओं से गहराई से जुड़ने का प्रयास कर रही हैं। आचार्य ने कहा कि लॉरेन का यह अनुभव न केवल आध्यात्मिक है बल्कि भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी रुचि को भी दर्शाता है।
Laurene Powell जॉब्स का यह दौरा भारतीय परंपराओं के महत्व और उनकी वैश्विक स्वीकृति को उजागर करता है। शिवलिंग छूने की अनुमति न मिलने के बावजूद, उनका परंपराओं का सम्मान करना भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी गहरी रुचि और सम्मान को दिखाता है।